√ उद्योग (industry)
★18 वीं शताब्दी तक भारत जलयान निर्माण में अग्रणी यहां उत्तम प्रकार के वस्त्र आभूषण धातु के बर्तन सजावट एवं वैभव से दृश्य सामग्री के बदले संसार के अधिकांश देशों का सोना हजारों देशों की तरफ खिंचा चला आता था इसलिए भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।
★ 18 वीं शताब्दी में दो प्रकार के उद्योग का प्रोत्साहन मिला--
● भारतीय बाजार की मांग पूर्ति ब्रिटेन के उद्योग पूर्ति नहीं कर पा रहे थे सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, सीमेंट, कागज उद्योग।
● वैसे उद्योग जिनका कच्चा माल ब्रिटेन ले जाना लाभकारी नहीं था चीनी, जूट उद्योग।
★ लोहा इस्पात उद्योग में 1979 तमिलनाडु के अर्काट जिले में असफल प्रयास किया गया, 1872 कुल्टी में बर्नपुर ब्रदर में सफल प्रयास रहा जो आज भी कार्यरत है।
★ भारत में पहला एल्युमिनियम उद्योग 1837 जेके नगर पश्चिम बंगाल में लगाया गया।
★ 1904 में सीमेंट का पहला असफल प्रयास चेन्नई में किया गया।
★ रासायनिक उर्वरक उद्योग 1906 में रानीपेट तमिलनाडु सुपर फास्टफेट संयंत्र की स्थापना की गई।
★1923 में उद्योगिक नीति का निर्माण भी किया गया जिसका उद्देश्य औद्योगिक विकास कर विश्व युद्ध की परिस्थितियों से लाभ अर्जन करना था।
★ जहाजरानी उद्योग 1941 में विशाखापट्टनम हिंदुस्तान शिपयार्ड के नाम से स्थापित किया गया।
★ कागज उद्योग में प्रथम मिल पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर असफल, 1879 लखनऊ एवं 1881 से टीटागढ़ पश्चिम बंगाल में स्थापित किया गया।
★ सूती वस्त्र उद्योग 1818 में फोर्ट ग्लोस्टर कोलकाता में असफल प्रयास, 1854 में डाबर द्वारा मुंबई में प्रथम सफल सूती मिल की स्थापना की गई।
★ ऊनी वस्त्र की प्रथम मिल की स्थापना 1876 कानपुर में लाल इमली के नाम से प्रारंभ की।
★ स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात आर्थिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति करने के लिए सर्वप्रथम 6 अप्रैल 1948 को औद्योगिक नीति घोषित की गई।
★ सन् 1950 में राष्ट्रीय योजना आयोग की स्थापना की गई। इसके द्वारा नियोजित पंचवर्षीय योजनाओं के कारण देश में चहुंमुखी विकास संभव हुआ और हम आत्मनिर्भर बन सकें।
√ लोहा और इस्पात उद्योग
★ भारत में लोहा पिघलाने, ढालने तथा इस्पात तैयार करने का कार्य अत्यंत प्राचीन काल से ही अगरिया जाति यह कार्य करती थी।
★ भारत में लोहा इस्पात उद्योग का आरंभ 1870 में हुआ।
★ भारत में लोहा इस्पात उद्योग की आधुनिक परंपरा जमशेदजी टाटा द्वारा रखी गई उन्होंने 1960 में साकंची (वर्तमान जमशेदपुर) नामक स्थान पर एक आधुनिक कारखाना "टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी" की स्थापना के साथ हुआ।
★1919 में बर्नपुर में "इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी" की स्थापना हुई।
★ सन 1923 में भद्रावती में विश्वैरवरैया आयरन एंड स्टील वर्क्स की स्थापना के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की पहली इकाई ने कार्य प्रारंभ किए।
★ भिलाई छत्तीसगढ़ में "सोवियत संघ" के सहयोग से, दुर्गापुर पश्चिम बंगाल में "ब्रिटेन" के सहयोग से, और राउरकेला ओडिसा "पश्चिम जर्मनी" के सहयोग से स्थापित की गई।
★ 1936 में कुल्टी व हीरापुर के दोनों कारखाने "इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी" में मिला दिए गए।
★ 1953 में बर्नपुर को भी इनमें शामिल कर दिया गया और इस्को की तीन इकाइयां (कुल्टी, हीरापुर, बर्नपुर) हो गई।
★ 1974 में सरकार ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया की स्थापना की तथा कंपनी को इस्पात उद्योग में विकास की जिम्मेदारी दी गई।
★ 14 जुलाई 1976 को इस्को का स्वामित्व भी सरकार ने अपने हाथों में लेकर SAIL में विलय कर दिया गया संदर्भित विलय 1 अप्रैल 2005 से प्रभावी माना गया और SAIL के अधीन एकीकृत संयंत्रों की संख्या पांच हो गई।
★ वर्ष 2014 के अनुसार कच्चे इस्पात के उत्पादन में चीन, जापान, यू.एस.ए. के बाद भारत चौथे स्थान पर है। (86.5 मिलियन टन उत्पादन कर)
★ 2015 में यह ऊपर उठकर तीसरे पायदान पर आ गया है।
उद्योग का स्थानीयकरण
★लोहा इस्पात उद्योग में प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल कोयला लोहा अयस्क चुने का पत्थर मैग्नीज आदि भारी एवं कम मूल्य का होता है।
★ 1 टन कच्चा लोहा बनाने के लिए
● 1.5 टन लोहे अयस्क
●1.4 टन कोयला
● 0.3 टन चुने का पत्थर
● 0.1 टन मैगनीज तथा
●0.8 डोलोमाइट
★ भारत का पहला बड़ा कारखाना "टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी" भारत का 20% इस्पात तैयार करता है।
★18 वीं शताब्दी तक भारत जलयान निर्माण में अग्रणी यहां उत्तम प्रकार के वस्त्र आभूषण धातु के बर्तन सजावट एवं वैभव से दृश्य सामग्री के बदले संसार के अधिकांश देशों का सोना हजारों देशों की तरफ खिंचा चला आता था इसलिए भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।
★ 18 वीं शताब्दी में दो प्रकार के उद्योग का प्रोत्साहन मिला--
● भारतीय बाजार की मांग पूर्ति ब्रिटेन के उद्योग पूर्ति नहीं कर पा रहे थे सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, सीमेंट, कागज उद्योग।
● वैसे उद्योग जिनका कच्चा माल ब्रिटेन ले जाना लाभकारी नहीं था चीनी, जूट उद्योग।
★ लोहा इस्पात उद्योग में 1979 तमिलनाडु के अर्काट जिले में असफल प्रयास किया गया, 1872 कुल्टी में बर्नपुर ब्रदर में सफल प्रयास रहा जो आज भी कार्यरत है।
★ भारत में पहला एल्युमिनियम उद्योग 1837 जेके नगर पश्चिम बंगाल में लगाया गया।
★ 1904 में सीमेंट का पहला असफल प्रयास चेन्नई में किया गया।
★ रासायनिक उर्वरक उद्योग 1906 में रानीपेट तमिलनाडु सुपर फास्टफेट संयंत्र की स्थापना की गई।
★1923 में उद्योगिक नीति का निर्माण भी किया गया जिसका उद्देश्य औद्योगिक विकास कर विश्व युद्ध की परिस्थितियों से लाभ अर्जन करना था।
★ जहाजरानी उद्योग 1941 में विशाखापट्टनम हिंदुस्तान शिपयार्ड के नाम से स्थापित किया गया।
★ कागज उद्योग में प्रथम मिल पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर असफल, 1879 लखनऊ एवं 1881 से टीटागढ़ पश्चिम बंगाल में स्थापित किया गया।
★ सूती वस्त्र उद्योग 1818 में फोर्ट ग्लोस्टर कोलकाता में असफल प्रयास, 1854 में डाबर द्वारा मुंबई में प्रथम सफल सूती मिल की स्थापना की गई।
★ ऊनी वस्त्र की प्रथम मिल की स्थापना 1876 कानपुर में लाल इमली के नाम से प्रारंभ की।
★ स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात आर्थिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति करने के लिए सर्वप्रथम 6 अप्रैल 1948 को औद्योगिक नीति घोषित की गई।
★ सन् 1950 में राष्ट्रीय योजना आयोग की स्थापना की गई। इसके द्वारा नियोजित पंचवर्षीय योजनाओं के कारण देश में चहुंमुखी विकास संभव हुआ और हम आत्मनिर्भर बन सकें।
√ लोहा और इस्पात उद्योग
★ भारत में लोहा पिघलाने, ढालने तथा इस्पात तैयार करने का कार्य अत्यंत प्राचीन काल से ही अगरिया जाति यह कार्य करती थी।
★ भारत में लोहा इस्पात उद्योग का आरंभ 1870 में हुआ।
★ भारत में लोहा इस्पात उद्योग की आधुनिक परंपरा जमशेदजी टाटा द्वारा रखी गई उन्होंने 1960 में साकंची (वर्तमान जमशेदपुर) नामक स्थान पर एक आधुनिक कारखाना "टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी" की स्थापना के साथ हुआ।
★1919 में बर्नपुर में "इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी" की स्थापना हुई।
★ सन 1923 में भद्रावती में विश्वैरवरैया आयरन एंड स्टील वर्क्स की स्थापना के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की पहली इकाई ने कार्य प्रारंभ किए।
★ भिलाई छत्तीसगढ़ में "सोवियत संघ" के सहयोग से, दुर्गापुर पश्चिम बंगाल में "ब्रिटेन" के सहयोग से, और राउरकेला ओडिसा "पश्चिम जर्मनी" के सहयोग से स्थापित की गई।
★ 1936 में कुल्टी व हीरापुर के दोनों कारखाने "इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी" में मिला दिए गए।
★ 1953 में बर्नपुर को भी इनमें शामिल कर दिया गया और इस्को की तीन इकाइयां (कुल्टी, हीरापुर, बर्नपुर) हो गई।
★ 1974 में सरकार ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया की स्थापना की तथा कंपनी को इस्पात उद्योग में विकास की जिम्मेदारी दी गई।
★ 14 जुलाई 1976 को इस्को का स्वामित्व भी सरकार ने अपने हाथों में लेकर SAIL में विलय कर दिया गया संदर्भित विलय 1 अप्रैल 2005 से प्रभावी माना गया और SAIL के अधीन एकीकृत संयंत्रों की संख्या पांच हो गई।
★ वर्ष 2014 के अनुसार कच्चे इस्पात के उत्पादन में चीन, जापान, यू.एस.ए. के बाद भारत चौथे स्थान पर है। (86.5 मिलियन टन उत्पादन कर)
★ 2015 में यह ऊपर उठकर तीसरे पायदान पर आ गया है।
उद्योग का स्थानीयकरण
★लोहा इस्पात उद्योग में प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल कोयला लोहा अयस्क चुने का पत्थर मैग्नीज आदि भारी एवं कम मूल्य का होता है।
★ 1 टन कच्चा लोहा बनाने के लिए
● 1.5 टन लोहे अयस्क
●1.4 टन कोयला
● 0.3 टन चुने का पत्थर
● 0.1 टन मैगनीज तथा
●0.8 डोलोमाइट
★ भारत का पहला बड़ा कारखाना "टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी" भारत का 20% इस्पात तैयार करता है।
भारत में उद्योग industry उद्योग संबंधी सामान्य ज्ञान के प्रशन सिधी व सरल भाषा में
Reviewed by Dharmaram
on
November 19, 2018
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